जयराज खवडना मरशिया
खत्री तारी खोट, काठी मटशे ना कदी चारण ने दइ चोट, जतो रियो जयराजिया (१) नकरा वेणे नेह, खाटा मीठा द्ये खवड आज वियो ग्यो एह, जगत तजी जयराजिया (२) याचक तारी याद, साद सिवाये शुं करे वचन मही भर वाद, जोता रह्या जयराजिया (३) अणसुण एक अवाज, दर्शन पण दीधा नही सरगापरना साज, जाजा […]